शहडोल रेलवे स्टेशन क्षेत्र में लगभग 10 स्पीड ब्रेकर बना मुसीबत

रेल प्रशासन ने ठानी है, गर्भपात करानी है ?

 मान्यता प्राप्त यूनियन मौन ? 



Junaid khan - शहडोल। बिलासपुर के आलीशान एयर कंडीशन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी का फरमान /आदेश से ठेकेदार ने बनाया स्पीड ब्रेकर जो रेल यात्रियों सहित, कर्मचारियों उनके परिवार के लिए व रेलवे स्टेशन क्षेत्र में जो भी आवागमन करता है उनके लिए मुसीबत का कारण बना ?  उक्त स्पीड ब्रेकर से ऑटो व फोर व्हीलर गाड़ियों का चैंबर को हो रहा नुकसान। बता दे की ऐसा स्पीड ब्रेकर पूरे सीआईसी में कही नहीं है, इतना ही नही बिलासपुर मुख्यालय में भी इस तरह का स्पीड ब्रेकर कही भी निर्मित नहीं किया गया है,  पूरे देश के रेलवे स्टेशन परिक्षेत्र में इस तरह का स्पीड ब्रेकर नहीं बनाया गया है। परंतु शहडोल रेलवे स्टेशन परिक्षेत्र में इस तरह का स्पीड ब्रेकर बनाना समझ से परे । इसमें अधिकारियों व  ठेकेदार की मनमानी व भ्रष्टाचार से ऐसा हुआ, इतना ही नही इसमें बिना किसी पैमाने / नाप के इतना बड़ा स्पीड ब्रेकर निर्मित किया गया। जबकि स्पीड ब्रेकर को लेकर राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार का स्पष्ट गाइडलाइन है। ऐसी कौन सी वजह थी की गाइडलाइन को नहीं माना गया ? गाइडलाइन में यह भी स्पष्ट है कि व्यक्ति के सुविधा के लिए इसे बढ़ाया अथवा घटाया जा सकता है, किसी भी व्यक्ति को असुविधा नही होनी चाहिए, स्पीड ब्रेकर से अभिप्राय यह है कि जो भी टू व्हीलर, फोर व्हीलर, साइकिल, ऑटो, रिक्शा उक्त स्पीड ब्रेकर से गुजरे तो अपने वाहन धीरे कर ले, परंतु ऐसे किसी भी गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है, जिसका खामियाजा शहडोल संभाग के लोगों को भुगतना पड़ रहा है इससे ऑटो, रिक्शा, टू व्हीलर, फोर व्हीलर गाड़ियों व अन्य गाड़ियों को नुकसान पहुंच रहा है साथ ही एक्सीडेंट / दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।

 रेल प्रशासन ने ठानी है, गर्भपात करानी है ? 

यह कहना गलत नहीं होगा कि रेल प्रशासन ने ठानी है, गर्भपात करानी है ? सूत्रों के हवाले से खबर है कि जिस प्रकार से रेल प्रशासन ने शहडोल रेलवे स्टेशन परिक्षेत्र में स्पीड ब्रेकर का निर्माण किया है उसमें से गुजरने वाली गर्भवती महिलाये जो ऑटो, साइकिल, बाइक, स्कूटी यहां तक की फोर व्हीलर गाड़ियों में यदि गर्भवती महिला रेलवे स्टेशन मे आवागमन करती है तो निश्चित रूप से उनका गर्भपात हो जाएगा। बड़ा सवाल क्या यदि ऐसी घटना घटती है तो रेल प्रशासन उसकी जिम्मेदारी लेगी ?  कहीं रेल प्रशासन शहडोल के लिए उदासीन तो नहीं ? हमेशा देखा गया है कि शहडोल के लिए नया-नया प्रयोग अधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है अभी कुछ समय पूर्व ही दिनांक 15/4/25 से प्रतिदिन टेला का 50 रूपए व निचे बैठ कर सब्जी बेचने वालो से 110 - 210  रुपए रेलवे बैठकी की राशि वसूली करने का आदेश जारी किया था ?

 मान्यता प्राप्त यूनियन मौन ?

इस मामले में रेलवे की मान्यता प्राप्त यूनियन आखिर मौन क्यों हो गई, क्या उन्हें चुनाव जीतने के पश्चात रेल कर्मचारी अथवा  परिवारों से कोई लेना-देना नहीं ? रेलवे सब्जी मंडी में आदिवासी गरीबों से अधिक पैसा वसूली जाती है तो कहते हैं हमको कोई लेना-देना नहीं  ? और आज इतने बड़े-बड़े स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं, मान्यता प्राप्त यूनियन मौन धारण किया हुआ है ?  समझ में नहीं आता की मान्यता प्राप्त यूनियन अपने कर्मचारी या उसके परिवार को क्या हेलीकॉप्टर से आवागमन करवाते हैं उन्हें इस सड़कों से कोई लेना-देना नहीं ? या फिर गांधी जी का डंडा भी मान्यता प्राप्त यूनियन पर चला गया ?

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