ग्राम पंचायत भमला में 40 लाख रुपये के गवन का मामला गरमाया

सहायक सचिव के निलंबन की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन


Junaid khan - शहडोल। जनपद पंचायत बुढार अंतर्गत ग्राम पंचायत भमला में विकास योजनाओं की शासकीय राशि में हुए लगभग 40 लाख रुपये के गवन के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। इस मामले में दोषी पाए गए सहायक सचिव विवेक तिवारी को निलंबित करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव  के नाम एक गंभीर ज्ञापन सौंपा गया है। यह ज्ञापन भारतीय जनता पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता एवं पूर्व जनपद सदस्य गिरजा प्रसाद महरा, निवासी ग्राम पंचायत देवरी द्वारा कलेक्टर शहडोल के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया। श्री महरा ने बताया कि विवेक तिवारी, जो वर्तमान में ग्राम पंचायत कटकोना में सहायक सचिव हैं तथा ग्राम पंचायत देवरी के सहायक सचिव का भी अतिरिक्त प्रभार भी उनके पास है, पूर्व में ग्राम पंचायत भमला में "सचिव" का प्रभार देख रहे थे।

दो बार हुई जांच,दोनों में दोष सिद्ध

श्री महरा ने बताया कि प्रभारी सचिव के कार्यकाल के दौरान शासकीय योजनाओं में भारी वित्तीय अनियमितताएं हुईं, और प्राथमिक जांच में करीब 40 लाख रुपये के गवन की पुष्टि हुई। मामले को दबाने और बचाव के प्रयास में विवेक तिवारी ने माननीय हाईकोर्ट  जबलपुर में याचिका दायर की, किंतु कोर्ट ने भी इस मामले में पुनः जांच कराए जाने के निर्देश दिए। माननीय हाईकोर्ट के आदेशानुसार गठित टीम द्वारा की गई पुनः जांच में भी विवेक तिवारी पर लगे सभी आरोप सही पाए गए। इसके बाद उन्हें ग्राम पंचायत भमला के सचिव के प्रभार से तो हटा दिया गया, लेकिन वे अब भी अन्य पंचायतों में पदस्थ हैं।

आरोप गंभीर: महिला जनप्रतिनिधियों का अपमान, कार्यों में बाधा

गिरजा प्रसाद महरा ने अपने ज्ञापन में लिखा है कि विवेक तिवारी न केवल आर्थिक अनियमितताओं के दोषी हैं, बल्कि उनका व्यवहार भी पूरी तरह से असंवेदनशील और अलोकतांत्रिक है। उन्होंने बताया कि तिवारी द्वारा कई बार महिला जनप्रतिनिधियों को अपमानित किया गया, तथा जनहित के निर्माण कार्यों में जानबूझकर अड़ंगे लगाए गए। श्री महरा ने यह भी आरोप लगाया कि विवेक तिवारी मीडिया के माध्यम से जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल करने का प्रयास करते हैं, और अन्य कई माध्यम से भ्रामक प्रचार भी करते हैं। उनकी पत्नी श्रीमती घनश्यामा बाई महरा, जो वर्तमान में जनपद सदस्य (वार्ड क्रमांक 14) हैं, को भी कई अवसरों पर विवेक तिवारी दके अनादरपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा है।

मुख्यमंत्री से की तत्काल निलंबन की मांग

ज्ञापन में मुख्यमंत्री से स्पष्ट रूप से मांग की गई है कि इतने गंभीर आरोपों और दो बार की जांच में दोष सिद्ध होने के बाद भी विवेक तिवारी जैसे कर्मचारी को पद पर बने रहने देना तथा दो दो पंचायतों में कार्य करने का दायित्व सौंपना प्रदेश सरकार की छवि के लिए घातक है। श्री महरा ने लिखा कि ‘‘मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार द्वारा ग्रामीण विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है, लेकिन कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जो न केवल शासन की योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं बल्कि जनप्रतिनिधियों का अपमान कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि विवेक तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर विभागीय एवं विधिक कार्यवाही शुरू की जाए, ताकि पंचायतों में विकास कार्य बाधित न हों और जनता का सरकार पर भरोसा बना रहे।

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