जिले में कोविड से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग सजग नहीं
Junaid khan - शहडोल। प्रदेश में कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी है। बड़े शहरों में कोविड के नए वैरिएंट के केस मिलने लगे हैं, लेकिन जिले में कोविड से निपटने को लेकर कोई तैयारी शुरू नहीं की गई है। स्वास्थ्य विभाग कोविड के केसों को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि जमीन स्तर पर कोविड रोकथाम को लेकर कुछ भी नहीं किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग शासन की गाइडलाइन आने के इंतजार में हैं। वहीं जांच को लेकर ढिलाई बरती जा रही है, क्योंकि आरटीपीसीआर लैब को लेकर जिला चिकित्सालय में एकसाल पहले मशीन आई थी, जिससे कोविड की (आरटीपीसीआर) जांच होना थी, लेकिन सपोर्टिंग उपकरण व जगह के अभाव में एक साल से मशीन धूल खा रही है। कोविड संकट की आहट के बाद भी जिम्मेदारों ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। वहीं मेडिकल कॉलेज में स्थापित आरटीपीसीआर मशीन कोविड के बाद से बंद पड़ी है। ऐसे में अगर अचानक कोविड के मरीज समाने आते हैं या संख्या बढ़ती है तो स्वास्थ्य विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती होगी।
ऑक्सीजन प्लांट भी बंद
जिला चिकित्सालय में कहने को तीन ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हैं, लेकिन इन प्लांटो में सिर्फ दो ही संचालित हो रहे हैं। 1000 एलपीएम का ऑक्सीजन प्लांट काफी दिनो से बंद पड़ा है। प्रबंधन ने बताया कि 1000 एलपीएम प्लांट में सेंसर की समस्या है, जिसे ठीक कराने 4-5 लाख रुपए का खर्च आ रहा है। कंपनी के लोग आते हैं पर सुधार नहीं पाते। कुछ दिनों पहले फिर से पत्राचार किया गया है। वर्तमान में 570 एलपीएम ऑक्सीजन प्लांट व एलएमओ से सप्लाई की जा रही है।
सस्पेक्टेड मरीजों की नहीं हो रही जांच
जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में मरीजों की जांच को लेकर कोई कवायद नहीं हो रही है। अस्पताल में ओपीडी में प्रतिदिन करीब 70 से 80 मरीज सर्दी खांसी और बुखार के आ रहे हैं, लेकिन न तो लोगों की हिस्ट्री चेक की जा रही है और न ही जांच की सुविधा है। ऐसे में अगर कोविड के नए वैरिएंट का मरीज सामने आता है तो कोविड फैलने की आशंका बढ़ जाएगी।
इनका कहना है
जिला अस्पताल के 300 बेड ऑक्सीजन सर्पोटेड हैं, 1000 हजार एलपीएम ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी कारणों से बंद है, जिसके सुधार के लिए पत्राचार किया गया है। आरटीपीसीआर मशीन एक साल पहले आई है, अभी इंस्टॉल नहीं हो सकी है।
डॉ. शिल्पी सराफ, सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय जिला शहडोल