कार बाजार की मनमानी उजागर,बोलेरो बेचकर भी नहीं किया ट्रांसफर,पीड़ित ने कलेक्टर,एसपी से लगाई गुहार

शहडोल में वाहन खरीद में बड़ी धोखाधड़ी: पैसे पूरे,कागज़ अधूरे,पीड़ित को मिली धमकी


Junaid khan - शहडोल। जिले के जयसिंहनगर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत कुदरी से एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसने वाहन खरीदारों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक युवक ने पूरे ₹6 लाख 50 हजार रुपये चुकाकर बोलेरो वाहन खरीदा, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी वाहन उसके नाम ट्रांसफर नहीं किया गया।

पूरी रकम ली,फिर भी कागज़ अधूरे 

आश्वासन ही आश्वासन,नामांतरण नहीं। पीड़ित अरुण कुमार अहिरवार, निवासी ग्राम पंचायत कुदरी ने बताया कि उन्होंने 30 जनवरी 2023 को शिव कार बाजार, शहडोल के संचालक संजय मिश्रा से बोलेरो वाहन क्रमांक CG-04-LL-2968 खरीदा था। वाहन की पूरी कीमत नकद और तयशुदा तरीके से अदा करने के बावजूद विक्रेता लगातार नामांतरण कराने का झूठा भरोसा देता रहा। पूछने पर धमकी,बोला जो करना है कर ले। पीड़ित को डराने की कोशिश का आरोप। अरुण कुमार का आरोप है कि जब वे बार-बार वाहन ट्रांसफर और कागजात की मांग करने लगे, तो विक्रेता संजय मिश्रा का रवैया आक्रामक हो गया। पीड़ित के अनुसार, कई बार उन्हें धमकी दी गई और साफ शब्दों में कहा गया,नहीं करूंगा ट्रांसफर, जो करना है कर ले। थाने से लेकर कलेक्टर तक गुहार,फिर भी नहीं मिली राहत, इस मामले में पीड़ित की माता द्वारा 25 जनवरी 2025 को थाना सीधी में लिखित शिकायत भी दी गई थी,लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। न्याय न मिलने से हताश होकर अब पीड़ित ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक शहडोल को लिखित शिकायत सौंपते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप 

आपराधिक केस दर्ज करने की मांग,पीड़ित ने मांग की है कि विक्रेता संजय मिश्रा के खिलाफ धोखाधड़ी,विश्वासघात,धमकी

जैसी दंडनीय धाराओं में आपराधिक मामला दर्ज किया जाए, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और भविष्य में किसी और के साथ ऐसा न हो। पुराने मालिक के नाम वाहन, बड़ा खतरा,भविष्य की कानूनी परेशानी की आशंका,अरुण कुमार ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि वाहन अभी भी पुराने मालिक के नाम पर दर्ज है, जिससे किसी भी दुर्घटना, अपराध या कानूनी विवाद की स्थिति में उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

सवालों के घेरे में कार बाजार

क्या ग्राहकों की सुरक्षा सिर्फ कागज़ों तक? यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति की परेशानी को उजागर करता है, बल्कि वाहन कारोबार में पारदर्शिता और प्रशासनिक कार्रवाई पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखने वाली बात होगी कि पुलिस और प्रशासन कब तक कार्रवाई करता है,या फिर पीड़ित को यूं ही न्याय के लिए भटकना पड़ेगा।

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