मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे छात्र – छात्राएं ,विश्वविद्यालय के प्रशासन ने मूंदी आंखें , मामला शंभू नाथ विश्वविद्यालय का

 मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे छात्र छात्राएं ,विश्वविद्यालय के प्रशासन ने मूंदी आंखें , मामला शंभू नाथ विश्वविद्यालय का

 मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे छात्र छात्राएं ,

 विश्वविद्यालय के प्रशासन ने मूंदी आंखें

 मामला शंभू नाथ विश्वविद्यालय का,

 

शहडोल। मामला शहडोल जिले के पंडित शंभूनाथ विश्वविद्यालय के नवलपुर कैंपस का है जहां पर विश्वविद्यालय के छात्र छात्रा मूलभूत सुविधाओं के अभाव में है। अगर बात की जाए विश्वविद्यालय परिसर के शैक्षिक स्तर की तो वह पूर्णता शून्य हैं।यह तो हम सब बखूबी जानते लेकिन आज हम बात करेंगे नवलपुर विश्वविद्यालय परिसर की बता दें कि 14 किलोमीटर मुख्यालय से दूर स्थित इस परिसर के अंदर नाथू छात्र छात्राओं को पानी की सुविधा है और ना ही शौचालय में साफ सफाई रहती है।आए दिन विश्वविद्यालय के अंदर अध्ययनरत छात्र-छात्राएं मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

परिसर में है व्याप्त अनियमितताएं 

जोकि विश्वविद्यालय परिसर में कई प्रकार की अनियमितताएं हैं जैसे विश्वविद्यालय में कहीं भी छात्र छात्राओं के लिए स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है।और ना ही परिसर के अंदर साफ सफाई रहती है। कॉरिडोर में भी कभी साफ सफाई नहीं होती यहां देखें बस वहां पर गुटके की पिक दिखती है।जिससे वहां पर अध्यनरत छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है पीने के पानी के लिए भी उन्हें प्रशासनिक भवन तक जाना पड़ता है।पर यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या पीने का स्वच्छ पानी केवल प्रशासनिक भवन में बैठे एसी की हवा लेते हुए अधिकारियों के लिए ही है छात्र-छात्राएं जो वहां पर पढ़ते हैं। क्या उनके लिए पीने का स्वच्छ  पानी एवं स्वच्छ परिसर का व्यवस्था विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है।

जब विद्यार्थियों से ले रहे फीस तो क्यों नहीं दे रहा है व्यवस्था

जोकि विश्वविद्यालय में अध्यनरत छात्र-छात्राओं से समय-समय पर फेस तो ले ली जाती है लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। परिसर में व्याप्त अस्वच्छता इस बात का प्रमाण है कि प्रशासनिक भवन में बैठे विश्वविद्यालय के जिम्मेदार शायद विद्यार्थियों को दी जाने वाली व्यवस्था से कुछ खास मतलब नहीं रखते हैं। तभी तो विश्वविद्यालय के नवलपुर परिसर में अध्ययनरत विद्यार्थियों को स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था व स्वच्छ परिसर की व्यवस्था नहीं दी जा रही है। अब देखना यह होगा कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन मामले को संज्ञान में लेकर क्या कार्यवाही करता है। या फिर इसी प्रकार भरी गर्मी में बच्चे पीने के पानी के लिए तरसते रहेंगे।

 

 इनका कहना है 

जब इस संबंध में दूरभाष के माध्यम से कुलपति रमाशंकर से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा।

प्रोफेसर रामाशंकर कुलपति

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