तो क्या खाद्य अधिकारियों की मिली भगत से बिक रही शहर में मिलावटी मिठाइयां....?
शिकायतें होती है पर कार्यवाहियां शून्य,,,
अगर देखा जाए तो खाद्य विभाग में मिठाई दुकानों की शिकायतें भी होती रहती है पर अभी तक कोई कार्रवाई बड़ी खाद्य विभाग की तरफ से देखने को नहीं मिली जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खाद्य विभाग में बैठे अधिकारियों की मिली भगत के कारण ही मिलावट खोरी का यह धंधा बे रोक टोक धड़ल्ले से चल रहा है फूड अधिकारी व कलेक्टर की लापरवाही देखिए सालों से कोई कार्यवाही नही धड़ल्ले से शहर में बिक रही मिलावट वाली मिठाइयां त्यौहार हो या फिर ऐसे ही कुछ भी लेकिन हमेशा शहर में बिकती हैं मिलावट वाली मिठाई व दूध पनीर आदि दैनिक खाद्य पदार्थों में भी मिलावट खोरी देखने को मिलती है।
फ़ूड अधिकारी को फोन पर जानकारी दी गई पर न कार्यवाही न जांच,,,
वहीं कुछ लोगों के द्वारा कई बार शिकायत फ़ूड अधिकारी को फोन द्वारा दी गई लेकिन उसके बावजूद भी इन्होंने कोई कार्यवाही व जांच नहीं की जैसे शहर में चाट के ठेले होटल खाने पीने की ढाबा चाय की दुकान मिठाई किराने की दुकान जहां एक्सपायरी सामान भी बेच देते हैं ।बड़े बड़े रेस्टोरेंट में साहब जातें हैं और खानापूर्ति कर सैम्पलिंग कर लेकर चले जाते हैं और उनके साथ बाद में क्या होता है वह सभी को मालूम है जांच चलती रहती पर कार्यवाही शुन्य।
सालों साल चलती जांच पर कार्यवाही शून्य आखिर क्यों साहब,,,
मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से चाहे कोई बीमार हो या किसी की मौत हो प्रशासन को कोई मतलब नहीं किसी की मृत्यु हो जाती है खान-पान से और किसी को बीमार होना पड़ता है जो परेशान होते हैं लेकिन इन खाद्य अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इनके पास लंबी मोटी रकम और मिठाईयां हर महीने पहुंच जाती है जिसके बाद साहब पुरी ईमानदारी दिखाते हैं।भले जनता मरते रहे लेकिन इन्हें उससे कोई मतलब नहीं इनके पास मोटी रकम आनी चाहिए बस शासन प्रशासन को इनकी पेमेंट और बढ़ा देना चाहिए तब जाकर हो सकता है कि यह इमानदारी से कम कर पाए जितनी पेमेंट और इन्हें सभी सुविधा शासन प्रशासन दे रहा है उतनी उनके लिए भी कम है इन्हें धरती पर नहीं इन्हें आसमान पर बैठ के रखना चाहिए शासन प्रशासन को तब जाकर हो सकता है उनके होश ठिकाने आए ।
सड़क से उड़ती धूल डस्ट, धड़ल्ले से बिक रहे खाद्य पदार्थ,,,
शहर में सड़को से उड़ती धूल डस्ट खुलेआम समोसे चार्ट , एवं अन्य खाद्य पदार्थ बिक रहे है सब दिखता है ऐसा नहीं है कि जिले की मुखिया कलेक्टर तथा संबंधित खाद्य अधिकारियों को नहीं दिखता है कि यह नहीं खाते हैं जाकर लेकिन यह तो बड़े-बड़े रेस्टोरेंट से मंगा लेते हैं पैक खाना तो इनके बच्चों को क्या फर्क पड़ेगा फर्क तो आम जनता को पड़ता है जो सड़क से उड़ती धूल डस्ट से मिलावट वाला सामान खा रहा है वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के पास तो शुद्ध पहुंच जाता है अधिकारी मांगा है इनका पैसा भी नहीं लगता पर आम जनता के स्वास्थ से खिलवाड़ किया जा रहा है और संबंधित अधिकारी शुद्ध खाद्य पदार्थ खा रहे सबसे बड़ा सवाल यह है कि मिलावटखोरों पर आखिर कौन करेगा कार्यवाही।और सामने धनतेरस और दीपावली जैसे बड़े त्योहार आ रहा है जनता मिलावटी मिठाइयों से रहे सावधान।