बच्चा वार्ड में ज्यादातर एसी बंद, सिविल सर्जन बोली- वो कूलर लगवाए
Junaid khan - शहडोल। जिला अस्पताल में मन्येचे को इलाज के लिए लेकर पहुंचे एक अभिभावक यहां इमरजेंसी सेवाओं से बेहद असंतुष्ट नजर आए। उनहोंने बताया कि 9 जून की रात बच्चे को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टर को परीक्षण के लिए आने में ही 45 मिनट से ज्यादा समय लग गया। परीक्षण के बाद बच्चा वार्ड में भती किया तो पता चला कि यहां 5 में से 4 एसी खराब है। पंखे भी ज्यादातर बंद पड़े हैं। इस पर सिविल सर्जन डॉ. शिल्पी सराफ का कहना है कि सात में चार डॉक्टरों के नहीं होने के कारण सेवाओं पर असर पड़ रहा है। इसलिए रात में बच्चों के डॉक्टर की ड्यूटी ऑन काल लगने के कारण घर से आने में थोड़ा विलंब होता है। बच्या वार्ड में पंखे व एसी की समस्या सामने आने के बाद एक दिन पहले ही दो कूलर लगवाए हैं। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में सात में चार डॉक्टर अलग-अलग कारणों से अस्पताल नहीं आ रहे हैं। इनमें डॉ. तुलसी का ट्रांसफर हो गया। डॉ. विक्रम ठकुर ने छोड़ दिया। डॉ. कृष्पेंद्र द्विवेदी सोहागपुर थाने में मारपीट की घटना के बाद चिकित्सकीय अवकाश पर है और डॉ. उमेश नामदेव की उम्र 70 वर्ष से अधिक होने के कारण बाहर हैं।
रात में कुर्सी से नहीं उठतीं नर्से
बच्चा वार्ड में बच्चों को इलाज के लिए लेकर पहुंचे परिजनों ने बताया कि रात में मरीज को परेशानी हुई तो नर्से कुर्सी से नहीं उठती मरीज परिजनों को ही सलाह दे देती हैं कि कैसे क्या करना है। इसमें समस्या होती है कि गांव से आने वाली कई महिलाओं को पता नहीं होता और ऐसे में नुकसान की आशंका बनी रहती है। इतना ही नहीं ड्यूटी के दौरान शिफ्ट बनाकर सोने का काम होता है। तीन नर्स को ड्यूटी होने पर एक ही सेवाएं देती हैं, शेष दो करें सोतीं हैं।
एसी की मरम्मत में लापरवाही
जिला अस्पताल में अधिकांश एसी या तो बंद है या फिर भूलिंग सही नहीं है। यहां एक एसी सुधारने आए कर्मचारी ने बताया कि दो सौ से एसी है और अनियमित उपयोग के कारण अधिकांश एसी अनुपयोगी हो गए है। समय रहते एसी की मरम्मत में भी लापरवाही बरती जा रही है।
