सफाई व्यवस्था लचर होने से बढ़ रही बस्तियों में गंदगी
नागरिक हो रहे परेशान,मच्छरों की भरमार,पनप सकती है बीमारी
शहडोल। संभाग मुख्यालय की बस्तियों में सफाई व्यवस्था लचर हो जाने से गंदगी बढ़ती जा रही है। जगह जगह कचरे का ढेर लगा हुआ है, नालियों में मलबा बजबजा रहा है। मच्छरों की भरमार है, फागिंग बंद पड़ी है। सडक़ों पर फूटी पाइप लाइनो से पेयजल बहता रहता है। नगरपालिका असहाय सी हो चुकी है। नगरपालिका की पूरी व्यवस्था 40 दैनिक वेतन कर्मचारियों पर टिकी हुई है। इनमें से कई तो बंगलों में ड्यूटी कर रहे हैं और कई कलेक्टर के निर्देश पर सरकारी योजनाओं का कोरम पूरा करा रहे हैं। यही नहीं 01 अप्रैल से कचरा संग्रह का ठेका भी समाप्त हो चुका है। कचरा संग्रह का कार्य भी नगरपालिका द्वारा ही कराया जा रहा है।
लचर हो गई सफाई व्यवस्था
नगर की अंदरुनी बस्तियों में न तो झाड़ू लगाई जा रही है और न कचरा उठाया जा रहा है। यहां की नालियां महीनो से जाम हैं, जिनसे दुर्गंध उठने लगी है और मच्छर पनपने लगे हैं। घरों के सामने लोगों का बैठ पाना कठिन होता जा रहा है। बीमारियों की आशंका बढऩे लगी है। कई जगह नालियों का गलत निर्माण हो जाने से वहां पानी के बहाव की समस्या उठ खड़ी हुई है। हैरानी की बात यह है कि स्वच्छता प्रभारी न तो भ्रमण करते और न सफाई कर्मियों को वार्ड में भेजते हैं। सफाई व्यवस्था की मैपिंग करने वाले केवल अफसरों के बंगलों के आसपास हो रही सफाई की मोबाइल में फोटो खींच कर भेज रहे हैं।
प्रतिबंध के बावजूद पन्नियों की भरमार
एक अर्से से शासन ने पॉलीथिन की अमानक पन्नियों पर प्रतिबंध लगा रखा है। नगरपालिका मुनादी भी कराती है। लेकिन मॉनीटरिंग के बिना इस पर कहीं प्रतिबंध दिखाई नहीं देता। दूकानों में पन्नियों में सामान भर कर दिया जा रहा है। यही कारण है कि बस्तियों में जूठन भरी अमानक पन्नियां जहां तहां बिखरी कचरा बढ़ा रहीं हैं। सीएमओ के बंगले के सामने ही रोज पन्नियां पड़ी दिखाई देती हैं, जिन्हे सफाई कर्मी बटोर कर फेंकते रहते हैं। बस्तियों की नालियों में भी पन्नियों की भरमार है जिससे नालियां जाम हो रहीं हैं।
कचरा संग्रह भी नपा के जिम्मे
घर घर कचरा संग्रह के लिए जो व्यवस्था चल रही थी, उसका ठेका 01 अप्रैल को समाप्त हो गया है। अब नगरपालिका अपनी व्यवस्था के तहत कचरा संग्रह करा रही है। ज्ञातव्य है कि नगर के सभी 39 वार्डों के लिए लगभग 40 वाहन आवश्यक हैं। लेकिन यहां अभी मात्र 20 वाहनों से ही काम चलाया जा रहा है। इसी से ज्ञात होता है कि घर घर कचरा संग्रह व्यवस्था केवल 50 फीसदी घरों तक ही सीमित है। शेष जगह कचरा संग्रह भी नहीं हो पा रहा है। जबकि नगरपालिका शत प्रतिशत घरों का पैसा वसूल रही है। 30 रुपए माह के हिसाब 22 हजार घरों का 72 लाख रुपए सालाना की वसूली की जा रही है। लेकिन सुविधा केवल 50 फीसदी घरों को ही मिल पा रही है।