जिला अस्पताल में दर्द से तड़प रही प्रसूता को ड्यूटी डॉक्टर ने जिला अस्पताल से रेफर कर दिया मेडिकल कालेज,जहां दरवाजा नही खुला
जिला अस्पताल में रेफर-रेफर का खेल,रातभर प्रसूता को लेकर भटकते रहे परिजन,विवाद के बाद मिला इलाज
Junaid khan - शहडोल। हंगामे के बाद समाजसेवियों के हस्तक्षेप और सिविल सर्जन डॉ. शिल्पी सराफ के निर्देश के बाद, रात में ही गाइनोकोलॉजिस्ट और एनेस्थीसिया डॉक्टर को बुलाया गया और महिला का सुरक्षित ऑपरेशन जिला अस्पताल में ही किया गया। जिला अस्पताल में दर्द से तड़प रही प्रसूता को ड्यूटी डॉक्टर ने जिला अस्पताल से रेफर कर दिया। इस पर उसके परिजनों ने विरोध किया, ड्यूटी डॉक्टर ने कहा कि एनेस्थीसिया डॉक्टर ना होने की वजह से यहां ऑपरेशन नहीं हो सकता है। इसके बाद काफी हंगामा हुआ, अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद फिर प्रसूता का जिला अस्पताल में ही सुरक्षित ऑपरेशन किया गया। ड्यूटी डॉक्टर की बातचीत का एक वीडियो सामने आए हैं। सिविल सर्जन ने बताया कि उमरिया जिले के मानपुर की रहने वाली प्रसूता रूपाली केवट को परिजन लेकर सोमवार की रात 2:00 बजे जिला अस्पताल शहडोल लाए थे। प्रसूता हाई रिस्क होने की वजह से मानपुर के डॉक्टरों ने महिला को रेफर किया था। परिजनों को उसे उमरिया जिला अस्पताल ले जाना था, लेकिन उसे शहडोल जिला अस्पताल लेकर आ गए। मेडिकल कॉलेज के गायनी विभाग का गेट बंद, अधिकरी ने कहा आरोप गलत परिजनों ने बताया कि जिला अस्पताल के गायनिक विभाग में ड्यूटी में तैनात डॉक्टर पूर्वी श्रीवास्तव से उनकी मुलाकात हुई। ड्यूटी डॉक्टर पूर्वी श्रीवास्तव ने यह कहा कि मैं सर्जन नहीं हूं। मैं ऑपरेशन नहीं कर सकती। आप मरीज को कहीं और ले जाइए। परिजनों ने कहा कि यह संभागीय मुख्यालय का जिला अस्पताल है, मरीज को हम इतनी रात में कहां लेकर जाएं। जिसे ड्यूटी डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। परिजनों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के गायनी विभाग मरीज को लेकर पहुंचे थे, लेकिन वहां गेट बंद था। काफी आवाज देने के बाद भी किसी ने गेट नहीं खोला। इसके बाद वह पुनः जिला अस्पताल प्रसूता को लेकर पहुंच गए। वहीं मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉक्टर नागेंद्र सिंह का कहना है कि परिजनों का आरोप निराधार हैं। गायनी विभाग का गेट बंद नहीं था, परिजन शायद आए ही नहीं होंगे, मैं सीसीटीवी में दिखाता हूं, अगर ऐसा हुआ होगा तो हम कार्रवाई करेंगे।
समाजसेवी भी मौके पर पहुंचे
प्रसूता को लेकर परिजन दोबारा जिला अस्पताल पहुंचे और ड्यूटी डॉक्टर के बीच तीखी नोंकझोक भी हुई। उसका एक वीडियो सामने आया है। जानकारी लगते ही शहर के कुछ समाजसेवी भी मौके पर पहुंचे, जो मरीज के परिचित थे। विनय केवट ने बताया की रूपाली के पति मेरी परिचित हैं। मुझे उनके पति का फोन आया था कि जिला अस्पताल के डॉक्टर ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं। तो मैं रात में अपने एक सहयोगी के साथ जिला अस्पताल पहुंचा था।
जिला अस्पताल में हुआ ऑपरेशन
विनय केवट ने बताया मुझे जिला अस्पताल में डॉक्टर पूर्वी श्रीवास्तव ड्यूटी पर मिलीं। मैंने पूछा मैडम ऑपरेशन कर दीजिए तो ड्यूटी डॉक्टर ने कहां मैं सर्जन नहीं हूं। मैं ऑपरेशन नहीं कर सकती। इसके बाद सिविल सर्जन को समाजसेवियों ने मामले की रात में ही जानकारी दी। सिविल सर्जन डॉक्टर शिल्पी सराफ के हस्तक्षेप के बाद ड्यूटी डॉक्टर ने एनेस्थीसिया और गाइनेकोलॉजिस्ट को रात में इसकी खबर दी। जिसके बाद सुरक्षित ऑपरेशन प्रसूता का जिला अस्पताल में किया गया।
जिला अस्पताल में लोड अधिक
सिविल सर्जन ने बताया कि जिला अस्पताल में 24 घंटे में 15 से अधिक ऑपरेशन होते हैं। जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया डॉक्टरों की कमी है, यहां एक ही डॉ मनोज जायसवाल हैं। मेडिकल कॉलेज में भी एक ही एनेस्थीसिया डॉक्टर होने की वजह से जिला अस्पताल में लोड अधिक रहता है। जिला अस्पताल में उमरिया,अनूपपुर और डिंडोरी जिले के मरीज आते हैं। जिसकी वजह से रात में कुछ दिक्कतें होती हैं। लेकिन हम कोशिश करते हैं कि मरीजों को परेशानी ना हो। मानपुर से रेफर आई महिला के परिजन और ड्यूटी डॉक्टर के बीच कुछ बहस हुई थी, लेकिन जब मुझे जानकारी मिली तो मैने प्रसूता महिला का जिला अस्पताल में ही ऑपरेशन करवाया है जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
जिले में एनेस्थीसिया डॉक्टरों की कमी नहीं
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले में कई एनेस्थीसिया डॉक्टर हैं। जिसमें ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर सिंहपुर सुनील स्थापक और धनपुरी मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सचिन कारकुर शामिल है। इन डॉक्टरों की भी अगर जिला अस्पताल में सप्ताह में एक-एक दिन ड्यूटी लगाई जाए तो समस्या कम हो सकती है।