वीर साहिबजादों ने राष्ट्र,धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान- अध्यक्ष अमिता चपरा
Junaid khan - शहडोल। नगर के पांडव नगर स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में वीर बाल दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का किया गया आयोजन शनिवार को भाजपा जिला मीडिया प्रभारी विनय केवट ने जानकारी देते हुए बताया कि देश, धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु महान बलिदान देने वाले सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों के बलिदान दिवस ‘वीर बाल दिवस’ (साहिबजादा दिवस) पर पंजाबी साहित्य अकादमी एवं संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश शासन के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी की जिला अध्यक्ष श्रीमती अमिता चपरा ने जिला पदाधिकारी एवं भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ कार्यक्रम में सम्मिलित होकर उनकी वीरता को नमन किया। वीर बाल दिवस के पर संस्कृत विभाग के कलाकारों नाटक के माध्यम से वीर साहिबजादों की वीरता एवं उनके बलिदान को दिखाते हुए कलाकारों ने शानदार अभिनय की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष श्रीमती अमिता चपरा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरू गोविन्द सिंह जी के प्रकाष पर्व के लिए घोषणा की कि गुरू गोविन्द सिंह के पुत्रों साहिबाजादे बाबा जोराबर सिंह और बाबा फतह सिंह की याद में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सिख्ख समाज के सम्मान में यह कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि युवा शहीदों के बारे में जिन्होंने अपना वलिदान सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपनी एक-एक रक्त की बूंद अर्पण कर दी। उन्होंने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह साहब के सबसे छोटे पुत्र साहिबजादे बाबा फतह सिंह का जन्म अंगदपुरा साहब में हुआ था। सात दिसंबर 1705 की सुबह चमकोर के उस घातक युद्ध के दिन बाबा जोराबर सिंह जी, बाबा फतह सिंह जी और उनकी दादी को मोरिंडा के अधिकारियों जानी खान और मणि खान रंगहर ने हिरासत में ले लिया। अगले उन्हें सरहिंद भेजा गया, जहां उनके किले के ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया गया। 9 दिसंबर 1705 को बाबा जोराबर सिंह और बाबा फतह सिंह को फौजदार नवाब बजीर खान के सामने पेष किया गया, उन्होंने उन्हें मृत्यु दण्ड की धमकी दी लेकिन वे अडे रहे। अंततः उन्हें मृत्यु दण्ड दिया गया। उन्होंने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह के वीर सपूतों के वलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
वीर साहिबजादे भारतीय इतिहास के ऐसे महान शहीद हैं, जिनकी कहानी हमें धर्म, साहस और वलिदान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। वीर साहिबजादे गुरू गोविन्द सिंह जी के चार पुत्र थे, बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतह सिंह, जिन्होंने धर्म और देष की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च वलिदान दिया। विषेषकर छोटे साहब जादों, जोराबर सिंह की उम्र 9 साल और फतह सिंह की उम्र 6 को मुगलों ने दीवार में चुनवा दिया था, उनके इस अदम्य साहस और वलिदान को याद करने के लिए हर साल 26 दिसंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि वीर बालकों को अद्वितीय शौर्य, त्याग और वलिदान को याद कर मैं उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। इस अवसर पर कार्यक्रम प्रमुख रूप से कार्यक्रम के संयोजक जानू छाबड़ा, गगनदीप सिंह जॉली, पूर्व विधायक प्रमिला सिंह, राकेश सोनी, मनोज गुप्ता, संतोष लोहानी, अमित मिश्रा, गिरधर प्रताप सिंह, राजेश्वर उदानियां, रवींद्र वर्मा, विनय केवट, अमित गुप्ता बंटी, अंकुश शर्मा, निभा गुप्ता, प्रियम त्रिपाठी, राजीव शर्मा,मृदुल मिश्रा, जयश्री कचेर, आदित्य चपरा, अनुराग शुक्ला, विपिन तिवारी, चारु तिवारी, पिंकू शुक्ला,सुमित पाठक, शिव शुक्ला, आयुष पांडे, हिमांशु गुप्ता सहित शहर के गणमान्य नागरिक गण व समस्त गुरुद्वारा परिवार एवं सामाजिक संगठनों के लोगों ने कार्यक्रम में शामिल होकर सहभागिता निभाई।

